Wednesday, March 27, 2013

ग़ज़ल



दर्द-ऐ-दिल से राह-ऐ- गुजर है ग़ज़ल
दर्द-ऐ-दिल से रहत भी है ग़ज़ल

उनका महेफिल में तशरीफ़ लाना है ग़ज़ल
महेफिलसे उठके चले जाना भी है ग़ज़ल

उनका नैनों से नैना मिलाना है ग़ज़ल
चुपके से नज़रें चुराना भी है ग़ज़ल

जान-ऐ-तमन्ना के लिए दिल की तड़प है ग़ज़ल
दिलदार का दीदार होना भी है ग़ज़ल

सांसों का मद्धम चलते रहेना है ग़ज़ल
मौत की बाँहों में मिलती राहत भी है ग़ज़ल

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