तेरी दुनिया से जरूर आए है,
हम न कोई चोर, न ही डाकू है।
उस दुनिया की एक भी चीज़
हम अपने साथ नही लाये है।
सुन ले तू, ओ दुनिया के मालिक
अरे जिसे हम साथ ले कर गए थे,
वो सोने सा देह भी
हम वहीं पर छोड़ आए है।
ग़ालिब कालीन मराठी शायर "भाऊ राव पाटनकर" की एक शायरी से प्रेरित
Thursday, June 11, 2009
Tuesday, June 9, 2009
गम का मौसम
गम-ऐ-दरिया में डूबने का मौसम आया है,
प्यारे दोस्तों से बिछड़ने का मौसम आया है।
यूँ तो प्यार से हमने की है बहुत गुफ्तगू ,
लगता है अब तन्हाईयों का मौसम आया है ।
यूँ तो जिन्दगी ने हमें दी है बेशूमार खुशियाँ
गम से पहेचान करने का अब मौसम आया है।
दोस्तों को अपने गम से क्यूँ दुखी करें नादाँ?
अकेले इस आग में झुलसने का मौसम आया है।
प्यारे दोस्तों से बिछड़ने का मौसम आया है।
यूँ तो प्यार से हमने की है बहुत गुफ्तगू ,
लगता है अब तन्हाईयों का मौसम आया है ।
यूँ तो जिन्दगी ने हमें दी है बेशूमार खुशियाँ
गम से पहेचान करने का अब मौसम आया है।
दोस्तों को अपने गम से क्यूँ दुखी करें नादाँ?
अकेले इस आग में झुलसने का मौसम आया है।
Saturday, June 6, 2009
बेटी बोली
माँ की कोख से बेटी बोली,
मुझे भी जन्म लेने दे, माई।
मै भी तेरे काम आउंगी,
मुझ पे भरोसा रख तू , माई।
मुझको भी तू भाई की तरह,
स्कूल-कोलेज में भेजना, माई,
पढ़-लिखकर, काबिल बनकर,
पैरों पे अपने खड़ी होउंगी, माई।
कराटे, जूडो, मार्शल आर्ट
सब सीखूंगी भाई के साथ।
अपनी रक्षा ख़ुद करुँगी,
तू मत कर चिंता , माई।
अपने लिए लड़का भी,
तू कहे तो, ख़ुद ही ढुँड लुंगी , माई।
शादी और दहेज़ का खर्चा भी,
अपनी कमाई से जोड़ लुंगी, माई ।
बुढापे में आप और तात,
मेरे घर में रहेना, मेरे साथ,
बुढापे की लाठी बनुंगी,
बिल्कुल सच कहती हूँ , माई।
ये तो सोच तू ,मेरी माई,
सब करे तेरे जैसा, माई,
बेटे जनने के लिए कहाँ से
फ़िर मिलेगी कोई माई?
इसी लिए कहती हूँ ,माई
मुझको भी जन्म लेने दे, माई.
मुझे भी जन्म लेने दे, माई।
मै भी तेरे काम आउंगी,
मुझ पे भरोसा रख तू , माई।
मुझको भी तू भाई की तरह,
स्कूल-कोलेज में भेजना, माई,
पढ़-लिखकर, काबिल बनकर,
पैरों पे अपने खड़ी होउंगी, माई।
कराटे, जूडो, मार्शल आर्ट
सब सीखूंगी भाई के साथ।
अपनी रक्षा ख़ुद करुँगी,
तू मत कर चिंता , माई।
अपने लिए लड़का भी,
तू कहे तो, ख़ुद ही ढुँड लुंगी , माई।
शादी और दहेज़ का खर्चा भी,
अपनी कमाई से जोड़ लुंगी, माई ।
बुढापे में आप और तात,
मेरे घर में रहेना, मेरे साथ,
बुढापे की लाठी बनुंगी,
बिल्कुल सच कहती हूँ , माई।
ये तो सोच तू ,मेरी माई,
सब करे तेरे जैसा, माई,
बेटे जनने के लिए कहाँ से
फ़िर मिलेगी कोई माई?
इसी लिए कहती हूँ ,माई
मुझको भी जन्म लेने दे, माई.
Wednesday, June 3, 2009
याद आओगे
कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।
जब न रहोगे आसपास,
मेरे दिलको रुलाओगे।
तुम्हारी प्रगति के लिए,
अच्छे भविष्य के लिए,
बहेतर जिन्दगी केलिए,
कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।
तुम्हे वो सब मिले,
जिसकी तुम्हे कामना हो।
तुम्हारे हर सपने,
हर ख्वाब पुरे हो।
तुम्हारा भविष्य
और उज्वल हो।
तुम्हारे हाथो में
हमेशा सफलता हो।
हम ये दुआ करते रहेंगे,
जब जाने के बाद, तुम
हमें याद बहुत आओगे।
हमें याद बहुत आओगे।
जब न रहोगे आसपास,
मेरे दिलको रुलाओगे।
तुम्हारी प्रगति के लिए,
अच्छे भविष्य के लिए,
बहेतर जिन्दगी केलिए,
कल तुम चले जाओगे,
हमें याद बहुत आओगे।
तुम्हे वो सब मिले,
जिसकी तुम्हे कामना हो।
तुम्हारे हर सपने,
हर ख्वाब पुरे हो।
तुम्हारा भविष्य
और उज्वल हो।
तुम्हारे हाथो में
हमेशा सफलता हो।
हम ये दुआ करते रहेंगे,
जब जाने के बाद, तुम
हमें याद बहुत आओगे।
Friday, May 29, 2009
Monday, May 25, 2009
नामुमकिन नही
तेरे बगैर जिंदगी जीना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
टूटे दिल का इलाज करना....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
तेरी यादों को भुला पाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
तेरी जगह, किसी और को देना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही
आँसुओं को आंखों में रोकना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
चहेरे पर झूठी हँसी लाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
तेरी खुशी के लिए इतना करना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
हर मुश्किल को आसां करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही
नामुमकिन को मुमकिन करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही
मुश्किल है, नामुमकिन नही
टूटे दिल का इलाज करना....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
तेरी यादों को भुला पाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
तेरी जगह, किसी और को देना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही
आँसुओं को आंखों में रोकना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
चहेरे पर झूठी हँसी लाना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
तेरी खुशी के लिए इतना करना ....
मुश्किल है, नामुमकिन नही
हर मुश्किल को आसां करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही
नामुमकिन को मुमकिन करना ...
मुश्किल है, नामुमकिन नही
Saturday, May 16, 2009
उसको भुलाना होगा
तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।
नही ला पाती तेरी हँसी
अब उसके मन की खुशी।
तेरे आंसू देख के भी अब
नही रोता उसका दिल।
नही देता है अब वो
तेरे ख़त के जवाब भी,
फिर भी क्यूँ लिखना चाहे
तू उसको ख़त, ऐ दिल?
नही चाहता हैं अब वो
तुझसे करना बातें भी,
नही सुनना चाहता हैं अब
वो तेरा हाल-ऐ दिल।
भूलना चाहता हैं अब तुझे
ये तू मान भी जा।
किसी और का हो चुका
अब तो तेरे यार का दिल।
तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।
नही ला पाती तेरी हँसी
अब उसके मन की खुशी।
तेरे आंसू देख के भी अब
नही रोता उसका दिल।
नही देता है अब वो
तेरे ख़त के जवाब भी,
फिर भी क्यूँ लिखना चाहे
तू उसको ख़त, ऐ दिल?
नही चाहता हैं अब वो
तुझसे करना बातें भी,
नही सुनना चाहता हैं अब
वो तेरा हाल-ऐ दिल।
भूलना चाहता हैं अब तुझे
ये तू मान भी जा।
किसी और का हो चुका
अब तो तेरे यार का दिल।
तुझे उसको भुलाना होगा
सुन ले तू ऐ मेरे दिल।
तेरे साथ नही धड़कता
अब तेरे उस यार का दिल।
Wednesday, May 13, 2009
जुदाई
ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?
आपके ह्रदय सागर की लहेरें,
मेरे मन के किनारे भिगोती है।
आपकी धुपबत्ती की खुशबू ,
मेरी सांसो में भर जाती है।
आपके महल में जलता दिया ,
मेरी झोंपडी को रोशन करता है।
लोग कहेते है जुदाई में,
मेरे होठ फिक्के पड़ गये है।
वो क्या जाने की ,
जब आप मुझे चूमना चाहते है ,
मेरे होठों की लाली
आपके होठों तक पहुँच जाती है।
ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?
आपके ह्रदय सागर की लहेरें,
मेरे मन के किनारे भिगोती है।
आपकी धुपबत्ती की खुशबू ,
मेरी सांसो में भर जाती है।
आपके महल में जलता दिया ,
मेरी झोंपडी को रोशन करता है।
लोग कहेते है जुदाई में,
मेरे होठ फिक्के पड़ गये है।
वो क्या जाने की ,
जब आप मुझे चूमना चाहते है ,
मेरे होठों की लाली
आपके होठों तक पहुँच जाती है।
ये दुनिया समजती है ,
की हम दोनों अलग हो गये है।
इन्हे कैसे समझायें,
की हम दूर रहकर भी कितने पास है?
Thursday, May 7, 2009
आइना
मेरे पास एक आइना था,
जिसमें मै ख़ुद को देखता था.
कपडों और चहेरे के दाग दूर कर के,
सुंदर मैं बन जाता था।
एक दिन जब मै आईना देख रहा था,
अचानक वो टूट गया , टुकडों में वो बट गया।
मेरा दिल भी टूट गया , क्या करूँगा मै अब
सोचकर मै वहाँ से चलने लगा।
तभी उन टुकडो ने कहा
"हमारी तरफ तो देखो जरा"।
मैंने देखा तो हर टुकडें में,
मै,वैसा ही सुंदर दिख रहा था।
फिर मै ये सोचने लगा
जब कोई दिल तोड़ता है
और दिल टुकडों में बंट जाता है
तब भी क्या दिल के हर टुकड़े में
वो बेवफा सनम भी उतना ही सुंदर
दिख पाता है?
दिल को शीशा कहने वालो ने
कभी इस फर्क के बारें में सोचा है?
जिसमें मै ख़ुद को देखता था.
कपडों और चहेरे के दाग दूर कर के,
सुंदर मैं बन जाता था।
एक दिन जब मै आईना देख रहा था,
अचानक वो टूट गया , टुकडों में वो बट गया।
मेरा दिल भी टूट गया , क्या करूँगा मै अब
सोचकर मै वहाँ से चलने लगा।
तभी उन टुकडो ने कहा
"हमारी तरफ तो देखो जरा"।
मैंने देखा तो हर टुकडें में,
मै,वैसा ही सुंदर दिख रहा था।
फिर मै ये सोचने लगा
जब कोई दिल तोड़ता है
और दिल टुकडों में बंट जाता है
तब भी क्या दिल के हर टुकड़े में
वो बेवफा सनम भी उतना ही सुंदर
दिख पाता है?
दिल को शीशा कहने वालो ने
कभी इस फर्क के बारें में सोचा है?
Wednesday, May 6, 2009
समझ नही पा रहा हूँ.
हे रंग-बिरंगी दुनिया, मै तेरे रंग समझ नही पा रहा हूँ.
देश-हित के लिए ख़ुद का , और ख़ुद के स्वार्थ के लिए देश बंधुओ का,
खून बहाने वाले, दोनों ही राज नेता क्यूँ कहेलाते,
मै समझ नही पा रहा हूँ.
दोस्त के लिए जो जान दे, वो है सच्चे दोस्त
पर स्पर्धा में खुदके दोस्त का गला काटने वाले दोस्त
मै समझ नही पा रहा हूँ.
समझ सकता हूँ मै, एक दुसरे के होने की इच्छा रखने वाले प्रेमी
परन्तु एक दुसरे को, हमेशा के लिए भूलने वाले प्रेमी,
मै समझ नही पा रहा हूँ.
वैसे तो अपनी लाडली बेटी के लाड ही करती है माँ
परन्तु अपने ही लाडली को जन्म से पहेले ही मार देने वाली माँ
मै समझ नही पा रहा हूँ.
वैसे तो आप्त जनोके दुःख लाते हैं आंखोमें अश्रु
पर उनकी खुशी में भी क्यूँ आखोमे आते है हर्षाश्रु
मै समझ नही पा रहा हूँ.
Wednesday, April 29, 2009
याद सताए
कोयल कुहू-कुहू करने लगी
सावन के दिन आए
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
सूरज बादलों के संग में
लूपा छुपी खेले
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
शीतल मंद पवन की लहेरें
इस तन मन को सहेलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
पहेले बारिश की बौछारें
मिटटी की सौंधी सुगंध फैलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
सावन के दिन आए
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
सूरज बादलों के संग में
लूपा छुपी खेले
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
शीतल मंद पवन की लहेरें
इस तन मन को सहेलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
पहेले बारिश की बौछारें
मिटटी की सौंधी सुगंध फैलायें
ओ परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।
मधु का प्याला
जिंदगी के गम इस कदर बढे
दिल पे न रहा काबू हमारा
हाल जब हुआ बेहाल हमारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।
शाम को आनेका था वादा उनका
मगर कब तक करते इंतज़ार उनका
जब लगा की अब न होगा दीदार उनका
थाम लिया हमने मधु का प्याला।
दिल जिस वक्त टूटा हमारा
न निकली आह न हुआ हंगामा
न रुकी जब आँसूओं की धारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।
दिल हो गया है लहू लुहान
न ये चाह की तन में रहे प्राण
अब हमें चाहिए विष भरा प्याला
किस काम का ये मधु का प्याला?
दिल पे न रहा काबू हमारा
हाल जब हुआ बेहाल हमारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।
शाम को आनेका था वादा उनका
मगर कब तक करते इंतज़ार उनका
जब लगा की अब न होगा दीदार उनका
थाम लिया हमने मधु का प्याला।
दिल जिस वक्त टूटा हमारा
न निकली आह न हुआ हंगामा
न रुकी जब आँसूओं की धारा
थाम लिया हमने मधु का प्याला।
दिल हो गया है लहू लुहान
न ये चाह की तन में रहे प्राण
अब हमें चाहिए विष भरा प्याला
किस काम का ये मधु का प्याला?
सम्हल जा तू
जहाँ भी देखूं धुंधला सा दिखाई देता है हर अपना अब बेगाना दिखाई देता है. हर हँसते चहेरे की आँख में आँसू दिखाई देता है हर इन्सान अब यहाँ झूठा दिखाई देता है. हर दोस्त के हाथ में खंजर दिखाई देता है हर इन्सान अब दगाबाज दिखाई देता है. किसे फुर्सत जो सुने तेरी दास्तान् ए दिल-ऐ नादां हर कोई यहाँ अपने आप में मशगुल दिखाई देता है. अब तो सम्हल जा तू, ओ मेरे दिल गैरों में भी कभी कोई, अपना दिखाई देता है ? |
अपनापन
गैरों में कहाँ था इतना दम
दिलको हमारे दे पाते गम .
तेरी जुदाई करती है आँखें नम
तुझे अपना जो माने है ये मन.
मेरी आँखें फिरसे ना हो नम
सदा रहे हममें ये अपनापन.
दिलको हमारे दे पाते गम .
तेरी जुदाई करती है आँखें नम
तुझे अपना जो माने है ये मन.
मेरी आँखें फिरसे ना हो नम
सदा रहे हममें ये अपनापन.
प्रस्तावना
यहाँ पे हिन्दी भाषां में कुछ लिखने का मेरा प्रयास रहेगा ! आशा करता हूँ की मेरे विचार,मेरी भावनाएं आपको पसंद आएगी.
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