दिन में सपने देखू मैं,
रात भर जगता रहूँ मैं!
यूँ ही कविता लिखुं मैं,
जग में पगला बनूँ मैं!
मनमें मनोरथ रचू मैं,
आशाओं पर जिऊ मैं!
खोया खोया रहूँ मैं,
मुझको ही धुंडू मैं!
चहेरे पे हसीं रखूं मैं,
मन हि मन में रोऊ मैं !
Tushar Kher
No comments:
Post a Comment