Friday, March 29, 2013

खेर

'' ळयात मळयात गाणे गाता
'' भात गिरकी घेऊ
'वी' रांगनांच्या कथा वाचता
'खे' ळात दंगुनि जाऊ
'' सरंगांचा कोष विणता
'दीप्ती' मांजी न्हाऊ
'तुषार' थेंबे रोमाचिंता
'गाथा' सह नाचू गाऊ !!!!!!

आमची तन्वी

आमची तन्वी गोरीगोरी पान
नवनवीन कपड्यात
दिसते छान।
तन्वी जवळ आहेत
बाहुली नि बाहुला
विमान, मोटर, गाड़ी
सारे तिला हवी
असतात खेळायला
रोज नवीन फ्रोक
तिला हवा असतो घालायला
आज पिंक तन्वी तर
उद्या ब्लू तन्वी
म्हणा म्हणते मला।
तन्वी चा असा
असतो थाट
बसायला हवा असतो तिला
आई बाबां च्या मांडी चा पाट
बाबांशी कधी
गट्टी फू करते
आईला ही बाबांशी
बोलू नको म्हणते
अशी ही तन्वी
अवखळ भारी
सर्वांची आवडती
घरी अन दारी।
आमची तन्वी
फार गोड
तिला खड़ी साखर
म्हणू की संत्र्या ची फोड़


सौ. विजया ब्राम्ह्णणकर ...... ०६_०९_92

Wednesday, March 27, 2013

ग़ज़ल



दर्द-ऐ-दिल से राह-ऐ- गुजर है ग़ज़ल
दर्द-ऐ-दिल से रहत भी है ग़ज़ल

उनका महेफिल में तशरीफ़ लाना है ग़ज़ल
महेफिलसे उठके चले जाना भी है ग़ज़ल

उनका नैनों से नैना मिलाना है ग़ज़ल
चुपके से नज़रें चुराना भी है ग़ज़ल

जान-ऐ-तमन्ना के लिए दिल की तड़प है ग़ज़ल
दिलदार का दीदार होना भी है ग़ज़ल

सांसों का मद्धम चलते रहेना है ग़ज़ल
मौत की बाँहों में मिलती राहत भी है ग़ज़ल

Sunday, March 24, 2013

जिदगी का सफ़र तय करे कैसे?

आप की शिकायत आप ही  से  करे कैसे?
जिन्दगी की मुश्किलें आसन करे कैसे?

आँखे तो मनका दर्पण है
हाल-ऐ-दिल छुपाये कैसे?

घुट घुट के जिए है उम्रभर हम 
मनकी बात जुबान से करे कैसे?

लोग सुनके "वाह वाह" करते है
दर्द-ऐ-दिल बयां करे कैसे?

हर गाम एक नया इम्तिहान है
जिदगी का सफ़र तय करे कैसे?

वक्त का तकाजा

मौत उठा लेती मुझे उसकी क्या औकात थी?
मैंने देखा, जिन्दगी ने भी इशारा कर दिया था |

इन बुलंदी को छुं लूँ, इतना कहाँ मैं  होनहार था ?
वो तो मेरी तदबीर को तकदीर का सहारा था |

हर कोई छोड़ के चल दे इतना मैं नाकारा नहीं था ,
कुछ दोस्तों की बेवफाई तो कुछ वक्त का तकाजा था |

Saturday, March 23, 2013

मैं


दिन में सपने देखू मैं,
रात भर जगता रहूँ मैं!

यूँ ही कविता लिखुं मैं,
जग में पगला बनूँ मैं!

मनमें मनोरथ रचू मैं,
आशाओं पर जिऊ मैं!

खोया खोया रहूँ मैं,
मुझको ही धुंडू मैं!

चहेरे पे हसीं रखूं मैं,
मन हि मन में रोऊ मैं !

Tushar Kher

Thursday, March 21, 2013

खुश रहो !!


 खुश रहो बस खुश रहो!
यारों हमेशा खुश रहो !!

सुख मिलें या दुःख मिलें 
हर हाल में तुम खुश रहो !!

खाने  को पञ्च पकवान  नहीं ,
दल रोटी में तुम खुश रहो !!

आज यारों का साथ नहीं,
तन्हाई में भी खुश रहो !!

आज वो रूठा रूठा  सा है 
उसकी इस अदा पे  खुश रहो !! 

नहीं मिल पायी तुम्हे प्रियतमा 
उसकी यादों में तुम  खुश रहो !!

जिसको तुम देख नहीं पाते 
उसकी आवाज़  सुनके  खुश रहो !!

 क्या होगा किसको पता? 
इसलिए आज में ही  खुश रहो !!

जिन्दगी सिर्फ चार दिन की है 
इसलिए हेर पल में  खुश रहो !!

Tushar Kher


Wednesday, March 20, 2013

जिन्दगी

ए मेरी जिन्दगी
मई तुझे बहुत चाहता हूँ.
दिल-ओ-जान तुझपे छिड़कता हूँ
तेरे बगैर एक पल भी रहे नहीं पाऊंगा
मौत के वक्त मई तुझे अपने साथ ले के जाउंगा


दिल में दबाये गम,

चहेरे पे झूठी हँसी लिए,

अपने आप को छलता रहा,

बेदर्द ज़माने के लिए

थोड़ी सी समझ



थोड़ी सी समझ अगर मुझमें आ जाये तो!
जो है पास उसी में संतोष मिल जाये तो!

ख़ुशी किसीको हमेशां कहाँ मिल पाती है ?
मिली जितनी, उसी से मन भर जाये तो!

हर कदम कहाँ सफलता मिल पाती है?
आखिर में अपनी मंझिल मिल जाये तो!

जिन्दगी भर जिसके लिए तरसता रहा
मौत के वक्त वो मेरे गले लग जाये तो!

मोक्ष की कामना यहाँ हर किसी के दिल में
मुझ को इसी धरती पर स्वर्ग मिल जाये तो!

तुषार खेर 

Monday, March 18, 2013

थोडा तो पास आ


है प्यार का सवाल, थोडा तो पास आ
मत खड़ी  कर दीवार, थोडा तो पास आ

चिल्ला के कहे सकू, नहीं है ये ऐसी बात 
सुनना हो दिलका हाल, थोडा तो पास आ 

दूरियाँ तो प्यार में बन सकती है बाधा 
 सोचके ये  ख़याल , थोडा तो पास आ 

दिलको ठंडक मिलती है,मुहूबात की आग से 
देखने को ये कमाल, थोडा तो पास आ

तेरी जुदाई तो मार डालेगी मुझे यार 
करने आखरी दीदार, थोडा तो पास आ

तुषार खेर