Thursday, May 7, 2009

आइना

मेरे पास एक आइना था,
जिसमें मै ख़ुद को देखता था.
कपडों और चहेरे के दाग दूर कर के,
सुंदर मैं बन जाता था।

एक दिन जब मै आईना देख रहा था,
अचानक वो टूट गया , टुकडों में वो बट गया।
मेरा दिल भी टूट गया , क्या करूँगा मै अब
सोचकर मै वहाँ से चलने लगा।

तभी उन टुकडो ने कहा
"हमारी तरफ तो देखो जरा"।
मैंने देखा तो हर टुकडें में,
मै,वैसा ही सुंदर दिख रहा था।

फिर मै ये सोचने लगा
जब कोई दिल तोड़ता है
और दिल टुकडों में बंट जाता है
तब भी क्या दिल के हर टुकड़े में
वो बेवफा सनम भी उतना ही सुंदर
दिख पाता है?

दिल को शीशा कहने वालो ने
कभी इस फर्क के बारें में सोचा है?

1 comment:

  1. kya baat hai aapke dil ke tukadon ki :-)
    kisi ne to socha hi hoga aap jaisa bhi issliye to yeh geet likha ...
    "dil ke tukkde tukkde kar ke muskura ke chal diye"
    shayad unhein bhi pata tha ki dil todne se woh aur bhi khoobsurat ho jayenge !
    Bahut khoob tushar !
    "martini"

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