हिन्दी रचनाएँ
तुषार खेर - हिन्दी रचनाएँ
Monday, April 8, 2013
त्रिवेणी
गर कम में हो हासिल
,
तो ज्यादा मत करो बयां
;
अल्फाज़ कीमती हैं आपके
,
उसे यूँ ही न करो जायां
;
गुफ्तगुं में कौन सुने है दुसरें की
,
हर कोई करता है अपनी बयां.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment