Tuesday, June 9, 2009

गम का मौसम

गम-ऐ-दरिया में डूबने का मौसम आया है,
प्यारे दोस्तों से बिछड़ने का मौसम आया है।

यूँ तो प्यार से हमने की है बहुत गुफ्तगू ,
लगता है अब तन्हाईयों का मौसम आया है ।

यूँ तो जिन्दगी ने हमें दी है बेशूमार खुशियाँ
गम से पहेचान करने का अब मौसम आया है।

दोस्तों को अपने गम से क्यूँ दुखी करें नादाँ?
अकेले इस आग में झुलसने का मौसम आया है।

4 comments:

  1. तुषार भाई,
    बढ़िया लिखा है जल्दी से कुछ और पढ़वाइये
    वीनस केसरी

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  2. Dada.......U have drawn noble delights from sentiments. Thanks a lot, keep it up...

    Geetha

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