Wednesday, April 29, 2009

याद सताए

कोयल कुहू-कुहू करने लगी
सावन के दिन आए
परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए।

सूरज बादलों के संग में
लूपा छुपी खेले
परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए

शीतल मंद पवन की लहेरें
इस तन मन को सहेलायें
परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए

पहेले बारिश की बौछारें
मिटटी की सौंधी सुगंध फैलायें
परदेसी बालम मुझको तेरी याद सताए

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